डॉ० एoपी०जे० अव्दुल कलाम का जीवन परिचय - Biography of A.P.J. Abdul kalam

 डॉ० एoपी०जे० अव्दुल कलाम का जीवन परिचय - Biography of A.P.J. Abdul kalam

डॉ० एoपी०जे० अव्दुल कलाम का जीवन परिचय - Biography of A.P.J. Abdul kalam


ए० पी० जे० अब्दुल कलाम का साहित्यिक परिचय दीजिए और उनकी कृतियों पर प्रकाश डालिए।

जीवन-परिचय

बहुमुखी प्रतिभा के धनी और आधुनिक भारत के विकास को एक नया आसमान देनेवाले डॉ० ए० पी० जे० अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1981 ई० को तमिलनाडु राज्य के एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार में रामेश्वरम् के पास स्थित धनुषकोडी गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम जैनुलाबदीन और माता का नाम आशिमा (अशिअम्मा) था। इनका पूरा नाम अबुल पाकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम था। लोग इन्हें मिसाइलमैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से भी जानते हैं। परिवार के लोग इन्हें बचपन में 'आजाद' नाम से बुलाते थे। आर्थिक अभावों के कारण इनका जीवन बड़ा संघर्षमय रहा, इसलिए इन्हें अपनी आरम्भिक शिक्षा जारी रखने के लिए अपने चचेरे भाई के साथ अखबार बाँटने का कार्य करना पड़ा। आरम्भिक शिक्षा के बाद घर छोड़कर रामनाथपुरम् आकर यहाँ के श्वार्ट्ज हाईस्कूल में दाखिला लेना पड़ा: क्योकि इनके गाँव में आगे की शिक्षा के लिए कोई विद्यालय न था। इसके पश्चात् इन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एम० आई० टी०) की छह सौ रुपये फीस भरकर इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। अब्दुल कलाम ने अपनी मेहनत के बल पर एम० आई० टी० की छात्रवृत्ति प्राप्त की। यहाँ से इन्होंने अन्तरिक्ष विज्ञान में स्नातक (इंजीनियरिंग) की उपाधि सफलतापूर्वक प्राप्त की।


स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के उपरान्त डॉ० कलाम ने हावरक्रॉफ्ट परियोजना पर कार्य करने हेतु भारतीय रक्षा अनुसन्धान एवं विकास संस्थान में प्रवेश लिया। 1962 ई० में इन्होंने भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन में पदार्पण किया। यहाँ अब्दुल कलाम ने कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी भूमिका का सफलतापूर्वक निर्वाह किया। एक परियोजना निदेशक के रूप में भारत के सर्वप्रथम स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एस० एल० वी-3 के निर्माण में भी इनकी स्मरणीय भूमिका रही। इसी के फलस्वरूप 1982 ई० में अन्तरिक्ष में रोहिणी उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण सम्भव हो सका। इस प्रक्षेपण की सफलता से प्रभावित होकर ही भारत को अन्तरराष्ट्रीय अन्तरिक्ष क्लब की सदस्यता प्रदान की गई। इसके अतिरिक्त इसरो लौच व्हीकल प्रोग्राम को गति प्रदान करने का श्रेय भा इन्हें प्रदान किया जाता है। डॉ० कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य-भेदी नियन्त्रित प्रक्षेपास्त्र (गाइडेड मिसाइल्स) को डिजाइन किया तथा 'अग्नि' और 'पृथ्वी' जैसे प्रक्षेपास्त्रा का निर्माण स्वदेशी तकनीक के आधार पर किया।


18 जुलाई, 2002 ई० को डॉ० अब्दुल कलाम भारत के राष्ट्रपति चुने गए। 25 जुलाई, 2002 ई० को संसद भवन के अशोक कक्ष में डॉ० अब्दुल कलाम को भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति के रूप में राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई। भारत । के बच्चों और युवाओं के बीच डॉ० कलाम अत्यधिक लोकप्रिय थे।


27 जुलाई, 2015 ई० की सायंकाल अब्दुल कलाम भारतीय प्रबन्धन संस्थान, शिलाँग में रहने योग्य ग्रह' प्रकरण पर एक व्याख्यान दे रहे थे। अपने व्याख्यान के अनन्तर ही इन्हें दिल का दौरा पड़ा। इससे इनका निधन हो गया। इस प्रकार एक महान् राष्ट्रवादी, मानवतावादी, वैज्ञानिक, राजनीतिज्ञ, समाज-सेवी व साहित्यकार तथा भारत के बच्चों और युवाओं के मन-मस्तिष्क में बसा क 'मिसाइलमैन' सदैव के लिए हमसे विदा लेकर न जाने कहाँ चला गया।


डॉ० ए० पी० जे० अब्दुल कलाम का साहित्य के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व योगदान रहा। इन्होंने विशेष रूप से चिन्तनपरक और आत्मकथात्मक शैली में अपनी रचनाओं का सृजन किया। इनकी भाषा सरल, प्रवाहमय और बोधगम्य है। इन्होंने न केवल अंग्रेजी भाषा में, वरन् तमिल भाषा में भी साहित्य - सृजन किया है। अपने अनेक महत्त्वपूर्ण लेखों और आत्मकथाओं पर लेखन-कार्य करने के साथ ही अब्दुल कलाम ने अनेक कविताओं का सृजन भी किया। इनका काव्य-सृजन अत्यन्त मर्मस्पर्शी और प्रभावोत्पादक है। इन्होंने अपने अनेक लेखों और पुस्तकों को भारतीय युवाओं को मार्गदर्शन प्रदान करनेवाले अंदाज में लिखा है। विज्ञान के क्षेत्र में अपने विचारों को व्यक्त करने के साथ ही इन्होंने आत्मा- परमात्मा जस दार्शनिक प्रकरणों पर भी अपनी लेखनी चलाई, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा का स्पष्ट संकेत देता है।


कृतियाँ-डॉ० कलाम की कृतियाँ निम्नलिखित हैं- चिन्तनपरक रचनाएँ-इग्नाटिड माइण्ड्स अनलीशिंग द पावर विदिन इंडिया, इंडिया : माय ड्रीम, एनविजनिंग अन एमपावर्ड नेशन : टेक्नोलॉजी फॉर सोसायटल ट्रांसफॉरमेशन।


आत्मकथात्मक रचनाएँ-विंग्स ऑफ फायर एन ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए० पी० जे० कलाम, साइंटिस्ट टू प्रेसिडेण्ट। अन्य महत्त्वपूर्ण रचनाएँ-इण्डिया 2020 : ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम, माई जर्नी।


डॉ० ए० पी० जे० अब्दुल कलाम के उपर्युक्त समग्र विवरण के आधार पर यह स्पष्ट है कि ये भारत के उच्चकोटि के वैज्ञानिक, सर्वप्रिय राष्ट्रपति, दार्शनिक, समाज-सेवी, मानवता के पुजारी, भारतीय युवाओं के हृदय सम्राट् और विलक्षण व्यक्तित्ववाले व्यक्ति थे। अपनी अद्भुत साहित्यिक प्रतिभा के आधार पर इन्होंने अपने जिन चिन्तनपरक विचारों को व्यक्त किया और अपनी आत्मकथाओं के आधार पर अपने जिस मर्मस्पर्शी जीवन का चित्रण किया, वह देश-विदेश के प्रत्येक प्रबुद्ध प्राणी पर अपनी अमिट छाप छोड़ता है। इसमें सन्देह नहीं कि अपने चरित्र, व्यक्तित्व और महान् कार्यों से ओत-प्रोत इनका जीवन समग्र संसार के लिए प्रेरणास्रोत बना रहेगा और भारत के इस 'मिसाइलमैन' को युग-युग तक


स्मृत किया जाता रहेगा।