Hindi vyakaran kya hai | सम्पूर्ण हिन्दी व्याकरण - Hindi Grammar

व्याकरण किसे कहते हैं व्याकरण की परिभाषा

सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण। Hindi vyakaran। Hindi grammar


 व्याकरण वह विद्या है जिसके द्वारा हमे किसी भाषा का शुद्ध बोलनालिखना एवं समझना आता है।

भाषा की संरचना के ये नियम सीमित होते हैं और भाषा की अभिव्यक्तियाँ असीमित। एक-एक नियम असंख्य अभिव्यक्तियों को नियंत्रित करता है। भाषा के इन नियमों को एक साथ जिस शास्त्र के अंतर्गत अध्ययन किया जाता है उस शास्त्र को व्याकरण कहते हैं। अधिक पढ़ें


भाषा (Language) की परिभाषा

 

भाषा वह साधन है, जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर, सुनकर, लिखकर व पढ़कर अपने मन के भावों या विचारों का आदान-प्रदान करता है। 



दूसरे शब्दों में- जिसके द्वारा हम अपने भावों को लिखित अथवा कथित रूप से दूसरों को समझा सके और दूसरों के भावो को समझ सके उसे भाषा कहते है।



सरल शब्दों में- सामान्यतः भाषा मनुष्य की सार्थक व्यक्त वाणी को कहते है।

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वर्ण, वर्णमाला(Alphabet)

वर्ण उस मूल ध्वनि को कहते हैं, जिसके खंड या टुकड़े नहीं किये जा सकते। जैसे- अ, , , , , ख् इत्यादि।

वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है, इसके और खंड नहीं किये जा सकते। 

उदाहरण द्वारा मूल ध्वनियों को यहाँ स्पष्ट किया जा सकता है। 'राम' और 'गया' में चार-चार मूल ध्वनियाँ हैं, जिनके खंड नहीं किये जा सकते- र + आ + म + अ = राम, ग + अ + य + आ = गया। इन्हीं अखंड मूल ध्वनियों को वर्ण कहते हैं। हर वर्ण की अपनी लिपि होती है। लिपि को वर्ण-संकेत भी कहते हैं। हिन्दी में 52 वर्ण हैं। अधिक पढ़ें

 

वाक्य विचार (Syntax) की परिभाषा

वह शब्द समूह जिससे पूरी बात समझ में आ जाये वो 'वाक्य' कहलाता हैै। दूसरे शब्दों में- विचार को पूरी तरह से प्रकट करनेवाली एक क्रिया से युक्त पद-समूह को 'वाक्य' कहते हैं।

सरल शब्दों में- सार्थक शब्दों का व्यवस्थित समूह जिससे अपेक्षित अर्थ प्रकट हो, वाक्य कहलाता है। अधिक पढ़ें

 

संज्ञा (Noun) की परिभाषा

वह शब्द जिससे किसी विशेष वस्तु, भाव और जीव के नाम का बोध हो, उसे संज्ञा कहते है। 

दूसरे शब्दों में- किसी प्राणी, वस्तु, स्थान, गुण या भाव के नाम को संज्ञा कहते है।

जैसे- प्राणियों के नाममोर, गाय, अनिल, किरण, मोहन आदि। अधिक पढ़ें

सर्वनाम किसे कहते है? सर्वनाम(Pronoun) की परिभाषा

जिन शब्दों का प्रयोग संज्ञा के स्थान पर किया जाता है, उन्हें सर्वनाम कहते है। 
दूसरे शब्दों में- सर्वनाम उस विकारी शब्द को कहते है, जो पूर्वापरसंबध से किसी भी संज्ञा के बदले आता है।

सरल शब्दों में- सर्व (सब) नामों (संज्ञाओं) के बदले जो शब्द आते है, उन्हें 'सर्वनाम' कहते हैं। अधिक पढ़ें

कारक किसे कहते है करक(Case) की परिभाषा

संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के अन्य शब्दों के साथ उनका (संज्ञा या सर्वनाम का) सम्बन्ध सूचित हो, उसे (उस रूप को) 'कारक' कहते हैं। 

अथवा- संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उनका (संज्ञा या सर्वनाम का) क्रिया से सम्बन्ध सूचित हो, उसे (उस रूप को) 'कारक' कहते हैं।

इन दो 'परिभाषाओं' का अर्थ यह हुआ कि संज्ञा या सर्वनाम के आगे जब 'ने', 'को', 'से' आदि विभक्तियाँ लगती हैं, तब उनका रूप ही 'कारक' कहलाता हैं। अधिक पढ़ें

क्रिया (Verb) की परिभाषा

जिस शब्द से किसी काम का करना या होना समझा जाय, उसे क्रिया कहते है। 
जैसे- पढ़ना, खाना, पीना, जाना इत्यादि।

'क्रिया' का अर्थ होता है- करना। प्रत्येक भाषा के वाक्य में क्रिया का बहुत महत्त्व होता है। प्रत्येक वाक्य क्रिया से ही पूरा होता है। क्रिया किसी कार्य के करने या होने को दर्शाती है। क्रिया को करने वाला 'कर्ता' कहलाता है। अधिक पढें

धातु (Stem) की परिभाषा

धातु – क्रिया(stem) के मूल रूप को धातु कहते है।

दूसरे शब्दों मेंक्रियापद के उस अंश को 'धातु'  कहते हैजो किसी क्रिया के प्रायः सभी रूपों में पाया जाता है।
तात्पर्य यह कि जिन मूल अक्षरों से क्रियाएँ बनती हैउन्हें 'धातुकहते है।
पढ़जाखालिख आदि। अधिक पढ़ें

काल (Tense) की परिभाषा

क्रिया के जिस रूप से कार्य के होने या करने के समय का ज्ञान होता है उसे 'कालकहते है। 
दूसरे शब्दों में- क्रिया के उस रूपान्तर को काल कहते हैजिससे उसके कार्य-व्यापर का समय और उसकी पूर्ण अथवा अपूर्ण अवस्था का बोध हो।

जैसे-
(1) 
बच्चे खेल रहे हैं। मैडम पढ़ा रही हैं। 
(2) 
बच्चे खेल रहे थे। मैडम पढ़ा रही थी।

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विशेषण (Adjective) की परिभाषा

जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता बताते है उन्हें विशेषण कहते है।

इसे हम ऐसे भी कह सकते है- जो किसी संज्ञा की विशेषता (गुणधर्म आदि )बताये उसे विशेषण कहते है।

दूसरे शब्दों में- विशेषण एक ऐसा विकारी शब्द हैजो हर हालत में संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है। अधिक पढ़ें

अव्यय (Indeclinable) की परिभाषा

जिन शब्दों के रूप में लिंगवचनकारक आदि के कारण कोई परिवर्तन नही होता है उन्हें अव्यय (अ +व्यय) या अविकारी शब्द कहते है । 

इसे हम ऐसे भी कह सकते है- 'अव्ययऐसे शब्द को कहते हैंजिसके रूप में लिंगवचनपुरुषकारक इत्यादि के कारण कोई विकार उत्पत्र नही होता। ऐसे शब्द हर स्थिति में अपने मूलरूप में बने रहते है। चूँकि अव्यय का रूपान्तर नहीं होताइसलिए ऐसे शब्द अविकारी होते हैं। इनका व्यय नहीं होताअतः ये अव्यय हैं। अधिक पढ़ें

प्रत्यय (Suffix) की परिभाषा

प्रत्यय उस शब्दांश को कहते हैजो किसी शब्द के अन्त में जुड़कर उस शब्द के भिन्न अर्थ को प्रकट करता है। 
दूसरे अर्थ में-शब्दों के बाद जो अक्षर या अक्षर समूह लगाया जाता हैउसे प्रत्यय कहते है। 
जैसे- 'भलाशब्द में 'आईप्रत्यय लगाकर 'भलाईशब्द बनता है। अधिक पढ़ें

उपसर्ग की परिभाषा (Prefixes)

उपसर्ग उस शब्दांश या अव्यय को कहते हैजो किसी शब्द के पहले आकर उसका विशेष अर्थ प्रकट करता है।

दूसरे शब्दों में - जो शब्दांश शब्दों के आदि में जुड़ कर उनके अर्थ में कुछ विशेषता लाते हैवे उपसर्ग कहलाते है। अधिक पढ़ें

लिंग (gender) की परिभाषा

"संज्ञा के जिस रूप से व्यक्ति या वस्तु की नर या मादा जाति का बोध होउसे व्याकरण में 'लिंगकहते है।
दूसरे शब्दों में-संज्ञा शब्दों के जिस रूप से उसके पुरुष या स्त्री जाति होने का पता चलता हैउसे लिंग कहते है।
सरल शब्दों में- शब्द की जाति को 'लिंगकहते है। अधिक पढ़ें

समास (Compound) की परिभाषा

अनेक शब्दों को संक्षिप्त करके नए शब्द बनाने की प्रक्रिया समास कहलाती है। 
दूसरे अर्थ में- कम-से-कम शब्दों में अधिक-से-अधिक अर्थ प्रकट करना 'समासकहलाता है।

अथवा,

दो या अधिक शब्दों (पदों) का परस्पर संबद्ध बतानेवाले शब्दों अथवा प्रत्ययों का लोप होने पर उन दो या अधिक शब्दों से जो एक स्वतन्त्र शब्द बनता हैउस शब्द को सामासिक शब्द कहा जाता है और उन दो या अधिक शब्दों का जो संयोग होता हैउसे समास कहते है। अधिक पढ़ें

 Ras kya hai ras ke prakar

रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनंद' काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनंद की अनुभूति होती है

उसे 'रसकहा जाता है।

भोजन रस के बिना यदि नीरस हैऔषध रस के बिना यदि निष्प्राण हैतो साहित्य भी रस के बिना निरानंद है। यही रस साहित्यानंद को ब्रह्मानंद-सहोदर बनाता है।जिस प्रकार परमात्मा का यथार्थ बोध कराने के लिए उसे रस-स्वरूप 'रसो वै सःकहा गयाउसी प्रकार परमोत्कृष्ट साहित्य को यदि रस-स्वरूप 'रसो वै सःकहा जायतो अत्युक्ति  होगी।

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Chhand kya hai , chhand ke bhed aur prakar udaharan sahit

वर्णो या मात्राओं के नियमित संख्या के विन्यास से यदि आहाद पैदा होतो उसे छंद कहा जाता है। 
दूसरे शब्दो में-अक्षरों की संख्या एवं क्रममात्रागणना तथा यति-गति से सम्बद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्यरचना 'छन्दकहलाती है।

महर्षि पाणिनी के अनुसार जो आह्मादित करेप्रसन्न करेवह छंद है (चन्दति हष्यति येन दीप्यते वा तच्छन्द) ।
उनके विचार से छंद 'चदिधातु से निकला है। यास्क ने निरुक्त में 'छन्दकी व्युत्पत्ति 'छदिधातु से मानी है जिसका अर्थ है 'संवरण या आच्छादन' (छन्दांसि छादनात्) ।

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Alankar kya hai? alankar ki paribhasha aur bhed

जो किसी वस्तु को अलंकृत करे वह अलंकार कहलाता है।

दूसरे अर्थ में- काव्य अथवा भाषा को शोभा बनाने वाले मनोरंजक ढंग को अलंकार कहते है।

संकीर्ण अर्थ में- काव्यशरीरअर्थात् भाषा को शब्दार्थ से सुसज्जित तथा सुन्दर बनानेवाले चमत्कारपूर्ण मनोरंजक ढंग को अलंकार कहते है।

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Ekarthak shabd kya hai, एकार्थक शब्द की परिभाषा

एकार्थक (सामान अर्थ) प्रतीत होने वाले शब्दों को एकार्थक शब्द कहा जाता हैं |

जैसे- अहंकार- मन का गर्व। झूठे अपनेपन का बोध। 
दर्प- नियम के विरुद्ध काम करने पर भी घमण्ड करना। 
अभिमान- प्रतिष्ठा में अपने को बड़ा और दूसरे को छोटा समझना। 
घमण्ड- सभी स्थितियों में अपने को बड़ा और दूसरे को हीन समझना। 
अनुग्रह- कृपा। किसी छोटे से प्रसत्र होकर उसका कुछ उपकार या भलाई करना। 

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Sandhi kise kahte hai ? संधि की परिभाषा और भेद उदहारण सहित

दो वर्णों ( स्वर या व्यंजन ) के मेल से होने वाले विकार को संधि कहा जाता हैं। 

दूसरे अर्थ में- संधि का सामान्य अर्थ है मेल। इसमें दो अक्षर मिलने से तीसरे शब्द रचना होती है,
इसी को संधि कहते हैै।
उन पदों को मूल रूप में पृथक कर देना संधि विच्छेद होता है।
जैसे - हिम +आलय = हिमालय (यह संधि है) अत्यधिक = अति + अधिक (यह संधि विच्छेद है) आदि |

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Vakya vichar kya hai? वाक्य विचार की परिभाषा और भेद उदहारण सहित |

वह शब्द समूह जिससे पूरी बात समझ में आ जाये, 'वाक्यकहलाता हैै।
दूसरे शब्दों में- विचार को पूर्णता से प्रकट करनेवाली एक क्रिया से युक्त पद-समूह को 'वाक्यकहते हैं। 
सरल शब्दों में- सार्थक शब्दों का व्यवस्थित समूह जिससे अपेक्षित अर्थ प्रकट होवाक्य कहलाता है।
जैसे- विजय खेल रहा हैबालिका नाच रही है।

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Yugm shabd kya hai? युग्म शब्द की परिभाषा

 

हिंदी के अनेक शब्द ऐसे हैंजिनका उच्चारण प्रायः समान होता हैं। किंतुउनके अर्थ भिन्न होते है। इन्हे 'युग्म शब्दकहते हैं।

दूसरे शब्दों में- हिन्दी में कुछ शब्द ऐसे हैंजिनका प्रयोग गद्य की अपेक्षा पद्य में अधिक होता है। इन्हें 'युग्म शब्दया 'समोच्चरितप्राय भित्रार्थक शब्दकहते हैं।

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Upvakya kise kahte hai? उपवाक्य (Clause) की परिभाषा और परिभाषा |

ऐसा पदसमूहजिसका अपना अर्थ होजो एक वाक्य का भाग हो और जिसमें उदेश्य और विधेय होंउपवाक्य कहलाता हैं। 
उपवाक्यों के आरम्भ में अधिकतर किजिससे ताकिजोजितनाज्यों-त्योंचूँकिक्योंकियदियद्यपिजबजहाँ इत्यादि होते हैं।

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वाक्य शुद्धि (Sentence-Correction)

वाक्य भाषा की अत्यंत महत्वपूर्ण इकाई होती है। अतएव परिष्कृत भाषा के लिए वाक्य-शुद्धि का ज्ञान होना आवश्यक है। वाक्य-रचना में संज्ञासर्वनामविशेषणक्रियाअव्यय से संबंधित या अन्य प्रकार की अशुद्धियाँ भी हो सकती है। इन्हीं को आधार बनाकर परीक्षा(exams) में प्रश्न पूछे जाते हैं।

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शब्दों की अशुद्धियाँ (Shbdo ki ashudhiya)

व्याकरण के सामान्य नियमों की ठीक -ठीक जानकारी न होने के कारण विद्यार्थी से बोलने और लिखने में प्रायः भद्दी भूलें हो जाया करती हैं। शुद्ध भाषा के प्रयोग के लिए वर्णों के शुद्ध उच्चारणशब्दों के शुद्ध रूप और वाक्यों के शुद्ध रूप जानना आवश्यक हैं।

विद्यार्थी से प्रायः दो तरह की भूलें होती हैं- एक शब्द-संबंधीदूसरी वाक्य-संबंधी।
शब्द-संबंधी अशुद्धियाँ दूर करने के लिए छात्रों को श्रुतिलिपि का अभ्यास करना चाहिए।

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Vachya ki paribhasha aur udaharan वाच्य की परिभाषा और भेद उदहारण सहित

क्रिया के उस परिवर्तन को वाच्य कहा जाता हैंजिसके द्वारा इस बात का बोध होता है कि वाक्य के अन्तर्गत कर्ताकर्म या भाव में से किसकी प्रधानता है। 
इनमें किसी के अनुसार क्रिया के पुरुषवचन आदि आए हैं।

इस परिभाषा के अनुसार वाक्य में क्रिया के लिंगवचन चाहे तो कर्ता के अनुसार होंगे अथवा कर्म के अनुसार अथवा भाव के अनुसार।

 

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Shabd vichar kya hai? शब्द विचार (Etymology) की परिभाषा

दो या दो से अधिक वर्णो से बने ऐसे समूह को 'शब्दकहते हैजिसका कोई न कोई अर्थ अवश्य हो। 
दूसरे शब्दों में- ध्वनियों के मेल से बने सार्थक वर्णसमुदाय को 'शब्दकहते है। 
इसे हम ऐसे भी कह सकते है- वर्णों या ध्वनियों के सार्थक मेल को 'शब्दकहते है।
जैसे- सन्तराकबूतरटेलीफोनगायघरहिमालयकमलरोटीआदि।

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Shabd shakti kya hai? शब्द शक्ति (Word-Power) की परिभाषा

शब्द का अर्थ बोध करानेवाली शक्ति 'शब्द शक्तिकहलाती है।
शब्द-शक्ति को संक्षेप में 'शक्तिकहते हैं। इसे 'वृत्तिया 'व्यापारभी कहा जाता है।

 

सरल शब्दों में- मिठाई या चाट का नाम सुनते ही मुँह में पानी भर आता है। साँप या भूत का नाम सुनते ही मन में भय का संचार हो जाता है। यह प्रभाव अर्थगत है। अतः जिस शक्ति के द्वारा शब्द का अर्थगत प्रभाव पड़ता है वह शब्दशक्ति है।

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Bhavarth kya hai? है ? भावार्थ (Substance) की परिभाषा

 

भावार्थ अर्थ और व्याख्या के बीच की चीज है। इसमें न तो अर्थ-लेखन की भाँति गद्य या पद्य के प्रत्येक शब्द के अर्थ पर ध्यान दिया जाता है और न व्याख्या की भाँति अर्थ-विश्लेषण एवं साहित्य-सौंदर्य के स्पष्टीकरण पर ही।

भावार्थ में किसी उद्धरण में निहित केंद्रीय भाव को संक्षिप्त एवं स्पष्ट रूप में व्यक्त कर देना ही पर्याप्त है।

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शब्दार्थ (शब्दों का अर्थ-बोध)

हिंदी के विद्यार्थियों को नये-नये शब्दों का ज्ञान होना चाहिए। शब्दों के अर्थ की बारीकी वाक्यों में उनका प्रयोग कर ही समझी जा सकती है। यहाँ कुछ शब्द और उनके अर्थ वाक्य-वाक्य के साथ दिये जाते है।

 

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विराम चिन्ह क्या है ? विराम चिन्ह के प्रकार उदाहरण सहित

भित्र - भित्र प्रकार के भावों और विचारों को स्पष्ट करने के लिए जिन चिह्नों का प्रयोग वाक्य के बीच या अंत में किया जाता है, वे 'विराम चिह्नकहलाते है। दूसरे शब्दों में- विराम चिन्हों का अर्थ है - 'रुकनाया 'ठहरना' होता है । वाक्य को लिखते अथवा बोलते समय बीच में कहीं थोड़ा-बहुत रुकना पड़ता है जिससे भाषा स्पष्टअर्थवान एवं भावपूर्ण हो जाती है। लिखित भाषा में इस ठहराव को दिखाने के लिए कुछ विशेष प्रकार के चिह्नों का प्रयोग किया जाता हैं। इन्हें ही विराम-चिह्न कहते है।

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श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द (Homonyms Words) की परिभाषा

ऐसे शब्द जो पढ़ने और सुनने में लगभग एक-से लगते हैंपरंतु अर्थ की दृष्टि से भिन्न्न होते हैंश्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द कहलाते हैं। 
दूसरे शब्दों में- कुछ शब्द ऐसे होते हैं जिनमें स्वरमात्रा अथवा व्यंजन में थोड़ा-सा अन्तर होता है। वे बोलचाल में लगभग एक जैसे लगते हैंपरन्तु उनके अर्थ में भिन्नता होती है। ऐसे शब्द 'श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्दकहलाते हैं।

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व्याख्या से आप क्या समझते हैं? व्याख्या की परिभाषा

गद्य और पद्य में व्यक्त भावों अथवा विचारों को विस्तारपूर्वक लिखने को व्याख्या कहते हैं।

व्याख्या से आप क्या समझते हैं?

सरल शब्दों में- 'व्याख्याकिसी भाव या विचार के विस्तार और विवेचन को कहते हैं।

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मौखिक अभिव्यक्ति कौशल शिक्षण का अर्थ, अभिव्यक्ति के प्रकार

 

आप यह जानते ही हैं कि मनुष्य दो प्रकार से अपने भावों को प्रकट करता है- बोलकर और लिखकर। इसी आधार पर भाषा के दो रूप बने हैं- मौखिक और लिखित। मौखिक भाषा से दो प्रकार के कौशलों का विकास होता है- वाचन (बोलना) और श्रवण (सुनना)। मौखिक अभिव्यक्ति का उद्देश्य केवल अपनी बात दूसरे तक पहुँचाना ही नहीं हैअपितु भाषा को सही रूप से प्रयोग करना तथा प्रत्येक प्रत्येक अवसर के अनुसार भाषा का उचित प्रयोग करना भी है|

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Comprehension क्या है? पाठ-बोधन (Reading Comprehension)

किसी दिए गए पाठ को पढ़कर अध्येता द्वारा प्रतिपाद्य विषय तथा गद्यांश में निहित मूल अर्थ को हृदयंगम करना ही पाठ-बोधन कहलाता है।

इस प्रकार का अभ्यास परीक्षार्थी की योग्यता को जाँचने का सर्वाधिक मापदण्ड होता है। इससे परीक्षार्थी की सही सूझ-बूझ तथा ग्रहण करने की सही क्षमता की परख की जा सकती हैं।

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